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Showing posts from 2020

माता का निर्माण

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                                    माता का निर्माण    जब ईश्वर माता का निर्माण कर रहे थे , तो उन्हें उसमें बहुत समय लग रहा था।एक देवदूत रोज़ देखता था कि भगवान  माता का निर्माण कर रहे हैं और आज छठा दिन है, और ईश्वर रात तक लगे हैं और ओवरटाइम कर रहे हैं।यह देखकर वह देवदूत बोला ,"हे ईश्वर!आप इस पर इतना अधिक समय क्यों लगा रहे हैं ?"                                                 यह सुनकर ईश्वर ने जवाब दिया ," क्या तुमने इसकी Specification Sheet देखी है ? इसके भीतर बदले जा सकने वाले २०० से भी अधिक Parts होने चाहियें।  ~उसमें कम  से कम  भोजन को भी अधिक से अधिक बच्चों में बाँटने की क्षमता होनी चाहिए , जो भोजन बचे उसे ख़ुशी-ख़ुशी स्वयं खा लेने की क्षमता होनी चाहिए।  ~उसकी गोद ऐसी होनी चाहिए कि सभी बच्चे एक साथ समां सकेंऔर जब वह खड़ी हो जाए ,तो वह गोद गायब ...

किसान का मक्खन

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                                                       किसान का मक्खन एक किसान था जो रोजाना एक बेकरी वाले ( Baker ) को मक्खन दिया करता था। एक दिन  Baker  ने सोचा कि चलो आज मक्खन को तौल के देखता हूँ कि जितना मक्खन मैंने माँगा था उतना मुझे मिलता है कि नहीं। और उस  Baker  को पता लगा कि वो किसान पूरा मक्खन नहीं दे रहा था।                                     और इस बात के लिये  Baker  किसान को कोर्ट लेके गया। Judge  ने किसान से पूछा कि तुम मक्खन का माप-तौल कैसे करते हो। किसान ने कहा “माई-बाप मैं एक साधारण इंसान हूँ और मेरे पास माप-तौल के लिये कोई मशीन तो नहीं है इसीलिये एक तराजू को उपयोग में लेता हूँ।” Judge  ने पूछा “तुम तराजू में मापन के लिये क्या रखते हो?” किसान ने कहा “माई-बाप कुछ समय पहले से ही ये  ...

कर्मों का हिसाब

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एक सेठ जी बहुत ही दयालु थे । धर्म-कर्म में यकीन करते थे । उनके पास जो भी व्यक्ति उधार मांगने आता, वे उसे मना नहीं करते थे । सेठ जी मुनीम को बुलाते और जो उधार मांगने वाला व्यक्ति होता उससे पूछते कि "भाई ! तुम उधार कब लौटाओगे ? इस जन्म में या फिर अगले जन्म में ?"  जो लोग ईमानदार होते वो कहते - "सेठ जी ! हम तो इसी जन्म में आपका कर्ज़ चुकता कर देंगे ।" और कुछ लोग जो ज्यादा चालक व बेईमान होते वे कहते - "सेठ जी ! हम आपका कर्ज़ अगले जन्म में उतारेंगे ।" और अपनी चालाकी पर वे मन ही मन खुश होते कि "क्या मूर्ख सेठ है ! अगले जन्म में उधार वापसी की उम्मीद लगाए बैठा है ।" ऐसे लोग मुनीम से पहले ही कह देते कि वो अपना कर्ज़ अगले जन्म में लौटाएंगे और मुनीम भी कभी किसी से कुछ पूछता नहीं था । जो जैसा कह देता मुनीम वैसा ही बही में लिख लेता ।  एक दिन एक चोर भी सेठ जी के पास उधार मांगने पहुँचा ।                               उसे भी मालूम था कि सेठ अगले जन्म तक के लिए रकम उधार दे देता है । हाल...

जीवन की दौड़

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                                                                जीवन की दौड़  कुछ वर्ष पूर्व सीटल के विशेष ओलम्पिक खेलों की एक घटना है। मानसिक एवं शारीरिक रूप से असक्षम युवाओं  की 100 मीटर की दौड़ के आयोजन का समय आ गया था। मानसिक एवं शारीरिक रूप से असक्षम प्रतिभागी  बन्दूक की गोली चलने की प्रतीक्षा कर रहे थे। जैसे ही गोली चली, सभी प्रतिद्वन्दी प्रारंभिक रेखा से भागे और...

गिद्ध का घोंसला

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                                                                      गिद्ध का घोंसला  एक रईस आदमी था लक्ष्मी मल। एक बार वह भगवान महावीर के अन्तिम शिष्य " जम्बूस्वामी " को अपने  महल में लाया। उस पवित्र व्यक्ति ने उससे कहा कि वह अब धन संग्रह करना बन्द कर दे क्यों कि वह चार  पीढ़ियों से अधिक के लिए धन संग्रह कर चुका था। अब उसे मृत्यु के बाद के जीवन के विषय में सोंचना चाहिए। ...

ईश्वर साक्षात्कार

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                                                                   ईश्वर साक्षात्कार  एक व्यक्ति एक गुरु के पास पहुंचा और बोला, " गुरु जी मुझे ईश्वर का साक्षात्कार करा दीजिये। गुरु जी ने कहा  कि  तुममे कितनी लगन है। उसने कहा यदि लगन न होती तो मैं यहाँ क्यों आता। गुरु जी ने कहा कि इस  प्रक्रिया में दस वर्ष लगेंगे। इस पर वह व्यक्ति बोला गुरू  जी अध्यात्म का मेरे पास अच्छा ज्ञान...

विश्वास

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                                                                     विश्वास  यह कहानी एक ऐसे आदमी ने सुनायी है जो एक लम्बी हवाई यात्रा करके आ रहा था। हवाई यात्रा ठीक ठाक चल रही थी तभी एक उदघोष हुआ कि कृपया अपनी सीट बेल्ट बांध लें क्योंकि कुछ  समस्या आ सकती है। तभी एक और उदघोष हुआ कि , " मौसम खराब होने के कारण कुछ गड़बड़ी होने की  सम्भावना है अतः हम आपको पेय पदार्थ...

संसार को मत बदलो

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                                                            संसार को मत बदलो एक बार की बात है एक राजा था जो कि एक समृद्ध राज्य का संचालन करता था। एक दिन वह अपने राज्य के दूर दराज इलाकों का दौरा करने के लिए गया। जब वह अपने महल में वापस लौटा, उसे अपने पैरों में बहुत दर्द महसूस हुआ क्यों कि इतनी लम्बी यात्रा पर वह पहली बार गया था और उसकी यात्रा का मार्ग काफ़ी उबड़-खाबड़ था। उसने आदेश पारित किया कि सम्पूर्ण राज्य के सभी मार्गों को चमड़े से पाट दिया ...

ब्लैक स्पॉट

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▪▪▪▪ ब्लैक स्पॉट ▪▪▪▪ एक दिन एक प्रोफ़ेसर अपनी क्लास में आते ही बोला, “चलिए, SURPRISE TEST के लिए तैयार हो जाइये । सभी स्टूडेंट्स घबरा गए…  कुछ किताबों के पन्ने पलटने लगे तो कुछ सर के दिए नोट्स जल्दी-जल्दी पढने लगे । “ये सब कुछ काम नहीं आएगा….”, प्रोफेसर मुस्कुराते हुए बोले, “मैं Question paper आप सबके सामने रख रहा हूँ, जब सारे पेपर बट जाएं तभी आप उसे पलट कर देखिएगा”  पेपर बाँट दिए गए । “ठीक है ! अब आप पेपर देख सकते हैं, प्रोफेसर ने निर्देश दिया ।                                         अगले ही क्षण सभी Question paper को निहार रहे थे, पर ये क्या ?  इसमें तो कोई प्रश्न ही नहीं था ! था तो सिर्फ वाइट पेपर पर एक ब्लैक स्पॉट! ये क्या सर ?  इसमें तो कोई question ही नहीं है,  एक छात्र खड़ा होकर बोला । प्रोफ़ेसर बोले, “जो कुछ भी है आपके सामने है ।  आपको बस इसी को एक्सप्लेन करना है… और इस काम के लिए आपके पास सिर्फ 10 मिनट हैं…चलिए शुरू हो जाइए…” स्...

ईश्वर के प्रति आभार

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                                                          ईश्वर के प्रति आभार एक पुरानी सी इमारत में था वैद्यजी का मकान था। पिछले हिस्से में रहते थे और अगले हिस्से में दवाख़ाना खोल रखा था। उनकी पत्नी की आदत थी कि दवाख़ाना खोलने से पहले उस दिन के लिए आवश्यक सामान एक चिठ्ठी में लिख कर दे देती थी। वैद्यजी गद्दी पर बैठकर पहले भगवान का नाम लेते फिर वह चिठ्ठी खोलते। पत्नी ने जो बातें लिखी होतीं, उनके भाव देखते, फिर उनका हिसाब करते। फिर परमात्मा से प्रार्थना करते कि हे भगवान ! मैं केवल तेरे ही आदेश के अनुसार तेरी भक्ति छोड़कर यहाँ दुनियादारी के चक्कर में आ बैठा हूँ। वैद्यजी कभी अपने मुँह से किसी रोगी से फ़ीस नहीं माँगते थे। कोई देता था, कोई नहीं देता था किन्तु एक बात निश्चित थी कि ज्यों ही उस दिन के आवश्यक सामान ख़रीदने योग्य पैसे पूरे हो जाते थे, उसके बाद वह किसी से भी दवा के पैसे नहीं लेते थे चाहे रोगी कितना ही धनवान क्यों न ...

आत्मनिरीक्षण

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                                     आत्म निरीक्षण एक छोटा सा लड़का जो कि लगभग ११-१२ वर्ष का रहा होगा ,एक दवाई कि दुकान में गया और उसके मालिक से एक फ़ोन मिलाने कि आज्ञा ली.फिर उसने एक बड़ा सा बक्सा खिसकाया और उस पर चढ़ गया जिससे कि वह ऊपर रखे हुए फ़ोन तक पहुँच सके . दुकान का मालिक चुपचाप उस लड़के कि बातचीत सुनने लगा .बालक ने एक महिला को फ़ोन मिलाया और बोला , " क्या आप मुझे अपना बगीचा और लॉन काटने का काम दे सकती हैं ?"                   इस पर वह महिला फ़ोन के दूसरी ओर से बोली ," मेरे लॉन कि  कटाई का काम पहले से कोई कर रहा है . बालक , " किन्तु ,मैं आपके लॉन कि कटाई का काम उससे आधे दाम पर करने के लिए तैयार हूँ ."          महिला , " जो लड़का मेरे लॉन की कटाई का काम कर रहा है , मैं उसके काम से पूरी तरह संतुष्ट हू...

योग्यता का मापदंड

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                                                          योग्यता का मापदंड सिंगापुर में परीक्षा से पहले प्रिंसिपल ने बच्चों के पैरेंट्स को एक लेटर भेजा जिसका हिन्दी अनुवाद इस प्रकार है : "डियर पैरेंट्स, मैं जानता हूं आप इसको लेकर बहुत बेचैन हैं कि आपका बेटा इम्तिहान में अच्छा प्रदर्शन करें, लेकिन ध्यान रखें कि यह बच्चे जो इम्तिहान दे रहे हैं इनमें भविष्य के अच्छे कलाकार भी हैं जिन्हें गणित समझने की बिल्कुल जरूरत नहीं, इनमें बड़ी बड़ी कंपनियों के प्रतिनिधि भी बैठे हैं, जिन्हें इंग्लिश लिटरेचर और इतिहास समझने की जरूरत नहीं है,                                             इन बच्चों मे...

पैरों के निशान

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                                                            पैरों के निशान कल रात मुझे एक स्वप्न आया । मैंने देखा कि मेरा सुख का समय चल रहा था के और मैं समुद्र के किनारे की रेत में चला जा रहा था । मैं जहाँ - जहाँ भी जा रहा था , वहाँ - वहाँ मेरे पैरों के निशान रेत में बने हुए थे । लेकिन एक चमत्कारिक बात थी और वह यह कि रेत में एक जोड़ी के स्थान पर दो जोड़ी पैर दिख रहे थे। अर्थात , जहाँ - जहाँ भी मैं गया , ईश्वर मेरे साथ था ।   स्वप्न के दूसरे भाग अब मेरा दुःख का समय था , मुसीबत का समय था । मैं तनाव तनाव तनाव में था , विपत्ति से जूझ रहा था । ऐसे समय में , ऐसे वक्त में भी मैं समुद्र के किनारे की रेत मैं चला जा रहा था । किंतु , यह देख कर मुझे अत्यन्त दुःख हुआ कि ऐसे समय ...