पैरों के निशान


                                                            पैरों के निशान
कल रात मुझे एक स्वप्न आया मैंने देखा कि मेरा सुख का समय चल रहा था के और मैं समुद्र के किनारे की रेत में चला जा रहा था मैं जहाँ -जहाँ भी जा रहा था ,वहाँ-वहाँ मेरे पैरों के निशान रेत में बने हुए थेलेकिन एक चमत्कारिक बात थी और वह यह कि रेत में एक जोड़ी के स्थान पर दो जोड़ी पैर दिख रहे थे। अर्थात,जहाँ-जहाँ भी मैं गया , ईश्वर मेरे साथ था
 


स्वप्न के दूसरेभागअब मेरा दुःख का समय था , मुसीबत का समय था मैं तनाव तनाव तनाव में था,विपत्ति से जूझ रहा था ऐसे समय में,ऐसे वक्त में भी मैं समुद्र के किनारे की रेत मैं चला जा रहा था


किंतु ,यह देख कर मुझे अत्यन्त दुःख हुआ कि ऐसे समय में रेत पर केवल एक जोड़ी पैरों के निशान ही दिख रहे थे

अतः मुझसे रहा गया और मैंने ईश्वर से शिकायत की कि  हे ईश्वर ऐसा क्यों? विपत्ति के समय में आपने मेरा साथ छोड़ क्यों दिया?जब मेरे खुशहाली के दिन थे ,जब मैं प्रसन्न था तब तब तो आप मेरे साथ थे और विपत्ति में आपने मुझे क्यों  छोड़ दिया?


इस पर ईश्वर ने उत्तर दिया ," अरे  पगले ,मैंने विपत्ति भी तेरा साथ नहीं छोड़ा जब तूने सुख के समय में मेरा साथ  नहीं छोड़ा तो  मैं दुःख के समय में तेरा साथ कैसे छोड़ सकता हूँ?"


" फिर दुःख  के समय में मुझे केवल एक जोड़ी पैर   ही क्यों दिखे?" मैंने  पूछा 


"बेटे ! दुःख के समय में,विपत्ति  के समय में मैंने तुझे  अपनी गोद  में उठाया  हुआ था " ईश्वर  ने उत्तर दिया।


अतः, सुख के समय में भोग विलास  में इतने लिप्त मत हो जाओ  कि ईश्वर  को  भूल  ही  जाओ . जो  भी ईश्वर  को  सुख  के  समय  में  याद  रखते  हैं  ईश्वर  सदैव  उनका  मार्गदर्शन  करते   रहते  हैं ।








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