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पेन्सिल की कहानी

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                                                             पेन्सिल की कहानी एक बालक अपनी दादी मां को एक पत्र लिखते हुए देख रहा था। अचानक उसने अपनी दादी मां से पूंछा, " दादी मां !" क्या आप मेरी शरारतों के बारे में लिख रही हैं ? आप मेरे बारे में लिख रही हैं, ना " यह सुनकर उसकी दादी माँ रुकीं और बोलीं , " बेटा मैं लिख तो तुम्हारे बारे में ही रही हूँ, लेकिन जो शब्द मैं यहाँ लिख रही हूँ उनसे भी अधिक महत्व इस पेन्सिल का है जिसे मैं इस्तेमाल कर रही हूँ। मुझे पूरी आशा है कि जब तुम बड़े हो जाओगे तो ठीक इसी पेन्सिल की तरह होगे। " यह सुनकर वह बालक थोड़ा चौंका और पेन्सिल की ओर ध्यान से देखने लगा, किन्तु उसे कोई विशेष बात  नज़र नहीं आयी। वह बोला, " किन्तु मुझे तो यह पेन्सिल बाकी सभी पेन्सिलों की तरह ही दिखाई दे रही है।" इस पर दादी माँ ने उत्तर दिया, " बेटा ! यह इस पर निर्भर करता है कि तुम चीज़ों को किस नज़र से देखते हो। इसमें पांच ऐसे गुण हैं, जिन्हें  यदि तुम अपना लो तो तुम सदा इस संसार में शांतिपूर्वक रह सकते हो। "

राई का पहाड़

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                                                                       राई का पहाड़ एक राजकुमारी की आंख में कुछ समस्या हो गयी। यह समस्या थी तो मामूली सी, किन्तु चूँकि वह राजा की बेटी थी और पहली बार उसे कुछ समस्या हुयी थी, अतः उसे हल्का सा आंख का दर्द भी बहुत नागवार गुज़र रहा था। और, वह हर समय कराहती और रोती रहती थी। जब  उसे कोई दवाई डालने को कहते, तो दवाई को फेंक देती और बार-बार आंख को छूती थी। इस प्रकार उसकी समस्या ठीक होने के स्थान पर बढ़ती गयी और राजा बहुत परेशान हो गया। राजा ने घोषणा करवा दी कि जो भी उसकी बेटी को, राजकुमारी को, ठीक कर देगा, उसे भारी ईनाम दिया जाएगा। कुछ समय पश्चात् एक आदमी आया जिसने अपने आपको एक प्रसिद्द चिकित्सक बताया किन्तु वास्तविकता   में वह डॉक्टर  था ही नहीं।                                       उसने कहा कि वह निश्चित रूप से राजकुमारी को ठीक कर सकता था और इसलिए उसे राजकुमारी के कक्ष में उनका मुआइना करने भेज दिया गया। राजकुमारी का चेक अप करने के पश्चात् वह व्यक्ति चौंका और बोला, " हे मेरे भगवान ! यह तो बड़े दुःख की बात है।&quo

कौन किसका मालिक

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                                          कौन किसका मालिक एक दिन एक सूफ़ी  संत 'शेख़ फरीद' अपने शिष्यों के साथ बैठे थे.तभी एक आदमी वहां से एक गाय को ज़बरदस्ती खींचता हुआ निकला .यह देखकर फरीद ने अपने शिष्यों से पूछा ," तुम्हारे विचार में कौन किससे बंधा है ?" उसके शिष्यों ने जवाब दिया कि स्पष्टतया गाय ही उस आदमी से बंधी है . फरीद ने फिर पूछा ,"अच्छा यह बताओ ,कौन किसका मालिक है ?" सब शिष्य इस अजीब से ( absurd) प्रश्न पर हंसने लगे और बोले कि वेह आदमी ही मालिक था और कौन ? गाय तो पशु है ,वह मनुष्य कि स्वामिनी कैसे हो सकती है ?" " अच्छा , यह बताओ कि अग़र रस्सी को तोड़ दिया जाय तो क्या होगा " फरीद ने पूछा . शिष्यों ने उत्तर दिया ," तब तो गाय भागने की कोशिश करेगी ."  ............... "और फिर उस आदमी का क्या होगा ?" फरीद ने पूछा "स्पष्ट रूप से तब तो यह आदमी गाय का पीछा करेगा , गाय के पीछे -पीछे भागेगा ." तुरंत जवाब आया . जैसे ही शिष्यों ने यह जवाब दिया , वे समझ गए कि कौन किससे बंधा है ? आज यदि हम सोचें कि