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Showing posts from July, 2020

कर्मों का हिसाब

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एक सेठ जी बहुत ही दयालु थे । धर्म-कर्म में यकीन करते थे । उनके पास जो भी व्यक्ति उधार मांगने आता, वे उसे मना नहीं करते थे । सेठ जी मुनीम को बुलाते और जो उधार मांगने वाला व्यक्ति होता उससे पूछते कि "भाई ! तुम उधार कब लौटाओगे ? इस जन्म में या फिर अगले जन्म में ?"  जो लोग ईमानदार होते वो कहते - "सेठ जी ! हम तो इसी जन्म में आपका कर्ज़ चुकता कर देंगे ।" और कुछ लोग जो ज्यादा चालक व बेईमान होते वे कहते - "सेठ जी ! हम आपका कर्ज़ अगले जन्म में उतारेंगे ।" और अपनी चालाकी पर वे मन ही मन खुश होते कि "क्या मूर्ख सेठ है ! अगले जन्म में उधार वापसी की उम्मीद लगाए बैठा है ।" ऐसे लोग मुनीम से पहले ही कह देते कि वो अपना कर्ज़ अगले जन्म में लौटाएंगे और मुनीम भी कभी किसी से कुछ पूछता नहीं था । जो जैसा कह देता मुनीम वैसा ही बही में लिख लेता ।  एक दिन एक चोर भी सेठ जी के पास उधार मांगने पहुँचा ।                               उसे भी मालूम था कि सेठ अगले जन्म तक के लिए रकम उधार दे देता है । हालांकि उसका मकसद उधार लेने से अधिक सेठ की तिजो

जीवन की दौड़

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                                                                जीवन की दौड़  कुछ वर्ष पूर्व सीटल के विशेष ओलम्पिक खेलों की एक घटना है। मानसिक एवं शारीरिक रूप से असक्षम युवाओं  की 100 मीटर की दौड़ के आयोजन का समय आ गया था। मानसिक एवं शारीरिक रूप से असक्षम प्रतिभागी  बन्दूक की गोली चलने की प्रतीक्षा कर रहे थे। जैसे ही गोली चली, सभी प्रतिद्वन्दी प्रारंभिक रेखा से भागे और जीतने  की प्रबल इच्छा को लेकर आगे बढ़ने लगे।                                              लेकिन एक छोटा लड़का लड़खड़ा कर शुरू में ही गिर गया और रोने  लगा। बाकी आठ प्रतिभागियों ने उसके रोने की आवाज़ सुनी और उन आठों ने पीछे मुड़कर देखा।और फिर वह  आठों के आठों वापस लौटे और उस बालक के पास पहुंचे। एक बालिका जो "डाउन्स सिन्ड्रोम" नामक बीमारी  से ग्रसित होने के कारण मानसिक एवं शारीरिक रूप से असामान्य थी, झुकी और उसने उस छोटे से बालक को  प्यार से चूमा और बोली, " अरे कोई बात नहीं , अब तुम बिल्कुल ठीक से दौड़ोगे । "और इसके बाद जो भी हुआ                                        

गिद्ध का घोंसला

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                                                                      गिद्ध का घोंसला  एक रईस आदमी था लक्ष्मी मल। एक बार वह भगवान महावीर के अन्तिम शिष्य " जम्बूस्वामी " को अपने  महल में लाया। उस पवित्र व्यक्ति ने उससे कहा कि वह अब धन संग्रह करना बन्द कर दे क्यों कि वह चार  पीढ़ियों से अधिक के लिए धन संग्रह कर चुका था। अब उसे मृत्यु के बाद के जीवन के विषय में सोंचना चाहिए। ' जम्बूस्वामी ' के जाने के बाद लक्ष्मीमल यह सोंच-सोंच कर बहुत परेशान रहने लगा कि चार पीढ़ियों के बाद  उसके ख़ानदान का क्या होगा ? वह चिन्ता के कारण बीमार पड़ गया और किसी भी दवाई या ईलाज से उसे  कोई लाभ नहीं हुआ। उन्हीं दिनों एक धर्मात्मा साधु उनके शहर में आये। लक्ष्मीमल के मिलने वाले उसे उसके घर में ले आये। उसकी कहानी सुनने के बाद साधु ने कहा कि वह आदमी लक्ष्मीमल को ठीक कर देगा अगर कोई व्यक्ति किसी गिद्ध के घोंसले से मांस का टुकड़ा लाकर दे दे। लक्ष्मीमल के सेवक चारों ओर निकल पड़े किन्तु वे किसी गिद्ध के घोंसले से मांस का टुकड़ा प्राप्त नहीं कर सके। क्योंकि गिद्ध कुछ भी बचाता या जमा न

ईश्वर साक्षात्कार

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                                                                   ईश्वर साक्षात्कार  एक व्यक्ति एक गुरु के पास पहुंचा और बोला, " गुरु जी मुझे ईश्वर का साक्षात्कार करा दीजिये। गुरु जी ने कहा  कि  तुममे कितनी लगन है। उसने कहा यदि लगन न होती तो मैं यहाँ क्यों आता। गुरु जी ने कहा कि इस  प्रक्रिया में दस वर्ष लगेंगे। इस पर वह व्यक्ति बोला गुरू  जी अध्यात्म का मेरे पास अच्छा ज्ञान है। मैंने काफ़ी पुस्तकें पढ़ रखी हैं और मुझे ज्ञान प्राप्त करने का शौक भी है। तब तो मुझे कम समय लगना चाहिए ईश्वर साक्षात्कार में। इस पर गुरु जी बोले, तब तो तुम्हें 15 वर्ष लगेंगे। "                                           यह सुनकर वह व्यक्ति आश्चर्य से भर उठा और बोला यह कैसे संभव है? मैंने तो कई अध्यात्मिक गुरुओं के दर्शन भी किये हुए हैं और अनेक अध्यात्मिक कार्यशालाओं में भाग भी ले चुका हूँ। मैं पहले से ही इस विषय को काफ़ी कुछ जानता हूँ। इस पर गुरु जी बोले तब तो ईश्वर  साक्षात्कार में तुम्हें 20 वर्ष लगेंगे। इस पर वह व्यक्ति और अधिक चौंका और उसके सब्र का बाँध टूट सा गया  और बोला 

विश्वास

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                                                                     विश्वास  यह कहानी एक ऐसे आदमी ने सुनायी है जो एक लम्बी हवाई यात्रा करके आ रहा था। हवाई यात्रा ठीक ठाक चल रही थी तभी एक उदघोष हुआ कि कृपया अपनी सीट बेल्ट बांध लें क्योंकि कुछ  समस्या आ सकती है। तभी एक और उदघोष हुआ कि , " मौसम खराब होने के कारण कुछ गड़बड़ी होने की  सम्भावना है अतः हम आपको पेय पदार्थ नहीं दे पाएंगे। कृपया अपनी सीट बेल्ट्स कस कर बांध लें। " जब उस व्यक्ति ने अपने चारों ओर अन्य यात्रियों की ओर देखा तो पाया कि वे किसी अनिष्ट की आशंका से  थोड़े भयभीत लग रहे थे। कुछ समय के पश्चात फिर एक उदघोष हुआ, " क्षमा करें, आगे मौसम ख़राब है अतः  हम आपको भोजन की सेवा नहीं दे सकेंगे। कृप्या अपनी सीट बेल्ट बांध लें ।" और फिर एक तूफ़ान सा आ गया। बिजली कड़कने और गरजने की आवाजें हवाई जहाज़ के अन्दर तक  सुनायी देने लगीं। बाहर का ख़राब मौसम और तूफ़ान भी भीतर से दिखाई दे रहा था। हवाई जहाज़ एक छोटे खिलौने की तरह उछलने लगा। कभी तो जहाज़ हवा के साथ सीधा  चलता था और कभी एकदम गिरने लगता था जै

संसार को मत बदलो

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                                                            संसार को मत बदलो एक बार की बात है एक राजा था जो कि एक समृद्ध राज्य का संचालन करता था। एक दिन वह अपने राज्य के दूर दराज इलाकों का दौरा करने के लिए गया। जब वह अपने महल में वापस लौटा, उसे अपने पैरों में बहुत दर्द महसूस हुआ क्यों कि इतनी लम्बी यात्रा पर वह पहली बार गया था और उसकी यात्रा का मार्ग काफ़ी उबड़-खाबड़ था। उसने आदेश पारित किया कि सम्पूर्ण राज्य के सभी मार्गों को चमड़े से पाट दिया जाये जिससे कि यदि वह भविष्य में कभी कहीं जाये तो उसके पैरों में कष्ट न हो। किन्तु, उसके इस आदेश का पालन हो पाना इतना आसान न था। इसके लिए हजारों गायों/भैसों की खाल की आवश्यकता थी, अतः यह काम बहुत खर्चे वाला था। यह देखकर राजा के एक समझदार मंत्री ने बड़ी हिम्मत जुटा कर उसे सुझाव दिया, " महाराज ! आपको सारे मार्गों पर चमड़ा बिछा कर इतना अधिक खर्चा करने की क्या आवश्यकता है ? आप चमड़े का एक टुकड़ा काट कर केवल अपने पैरों पर क्यों नहीं पहन लेते ? "                                         पहले तो राजा को उसका सुझाव अजीब सा लगा