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Showing posts from September, 2017

परिश्रम का चमत्कार

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                                 परिश्रम का चमत्कार विद्यालय में वह मंदबुद्धि कहलाता था। उसके अध्यापक उससे नाराज रहते थे क्योंकि उसकी बुद्धि का स्तर औसत से भी कम था। कक्षा में उसका प्रदर्शन सदैव निराशाजनक ही होता था। अपने सहपाठियों के मध्य वह उपहास का विषय था।                                         विद्यालय में वह जैसे ही प्रवेश करता, चारों ओर उस पर व्यंग्य बाणों की बौछार सी होने लगती। इन सब बातों से परेशान होकर उसने विद्यालय आना ही छोड़ दिया। एक दिन वह मार्ग में निरर्थक  ही भ्रमण कर रहा था। घूमते हुए उसे जोरों की प्यास लगी। वह इधर-उधर पानी खोजने लगा। अंत में उसे एक कुआं दिखाई दिया। वह वहां गया और प्यास बुझाई।                                              वह काफी थक चुका था, इसलिए पानी पीने के बाद वहीं बैठ गया। उसकी दृष्टि पत्थर पर पड़े उस निशान पर गई जिस पर बार-बार कुएं से पानी खींचने के कारण रस्सी के निशान पड़ गए थे। वह मन ही मन विचार करने लगा कि जब बार-बार पानी खींचने से इतने कठोर पत्थर पर रस्सी के निशान पड़ सकते हैं तो निरंतर अभ्यास से मुझे भी विद्या आ सकती है।

बेटी नाराज हो गयी

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बेटी नाराज हो गयी पापा जाने लगे जब ऑफिस, बेटी जिद पर अड़ी रही, activa के लिए, वो भी आज papa ने मजबूरी दिखाई, पर बेटी माने तब न. बेटी ने जिद में आकर papa से बात करना बंद कर दी. पापा बेचारे क्या करे ? बहुत कोशिश की, papa ने, ऑफिस से बेटी को मनाने की,पर बेटी phone उठाये तब न. mood ख़राब हुआ पापा का छाती में दर्द होने लगा immediate गया boss के पास, urgent loan पास करवाया, showroom गया, बेटी की ख़ुशी के लिए, activa खरीद ली।                           बेटी को फिर फ़ोन किया ये बताने के लिए कि उसकी activa शाम को आ रही है पर बेटी अब भी नाराज मुंह फूलाये बैठी थी, जिदी थी papa से अब भी नाराज थी पापा शांत हो गए, chest pain बढ़ने लगा, बहुत प्यार करता था बेटी से बेटी ने phone नहीं उठाया, और दर्द बढ़ने लगा. activa तो पहुंच चुकी घर पर papa को attack आ गया, ऑफिस में ही. घर पर activa देखकर बहुत खुश हुई बेटी, हद से ज्यादा पर पापा नहीं दिखे पीछे पीछे कोई ambulance आ गयी, सब परेशान, कौन था उसमें Body बाहर निकाली गयी बेटी ने देखा, वो papa थे. ऑफिस