सच्ची मित्रता
सच्ची मित्रता
एक बार एक केकड़ा समुद्र किनारे अपनी मस्ती में चला जा रहा था और बीच बीच में रुक रुक कर अपने पैरों के निशान देख कर खुश होता ।
आगे बढ़ता पैरों के निशान देखता उससे बनी डिज़ाइन देखकर और खुश होता...
इस पर केकड़े को बड़ा गुस्सा आया, उसने लहर से बोला , "ए लहर मैं तो तुझे अपना मित्र मानता था, पर ये तूने क्या किया ,
मेरे बनाये सुंदर पैरों के निशानों को ही मिटा दिया कैसी दोस्त हो तुम ।"
तब लहर बोली, " वो देखो पीछे से मछुआरे लोग पैरों के निशान देख कर ही तो केकड़ों को पकड़ रहे हैं..
हे मित्र! तुमको वो पकड़ न लें , बस इसीलिए मैंने निशान मिटा दिए !
ये सुनकर केकड़े की आँखों में आँसू आ गये ।
सच यही है कई बार हम सामने वाले की बातों को समझ नहीं पाते और अपनी सोच अनुसार उसे गलत समझ लेते हैं।
जबकि हर सिक्के के दो पहलू होते हैं। अतः मन में वैर लाने से बेहतर है कि हम सोच समझ कर निष्कर्ष निकालें !!
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