सकारात्मक सोच एवं क्रियाशीलता
सकारात्मक सोच एवं क्रियाशीलता एक राजा के पास कई हाथी थे लेकिन एक हाथी बहुत शक्तिशाली था। बहुत आज्ञाकारी, समझदार व युद्ध-कौशल में निपुण था। बहुत से युद्धों में वह भेजा गया था,और वह राजा को विजय दिलाकर वापस लौटा था। इसलिए वह महाराज का सबसे प्रिय हाथी था। समय गुजरता गया ...और एक समय ऐसा भी आया, जब वह वृद्ध दिखने लगा। अब वह पहले की तरह कार्य नहीं कर पाता था, इसलिए अब राजा उसे युद्ध क्षेत्र में भी नहीं भेजते थे। एक दिन वह सरोवर में जल पीने के लिए गया, लेकिन वहीं कीचड़ में उसका पैर धँस गया और फिर धँसता ही चला गया। उस हाथी ने बहुत कोशिश की, लेकिन वह उस कीचड़ से स्वयं को नहीं निकाल पाया। उसकी चिंघाड़ने की आवाज से लोगों को यह पता चल गया कि वह हाथी संकट में है। हाथी के फँसने का समाचार राजा तक भी पहुँचा। राजा समेत सभी लोग हाथी के आसपास इक्कठा हो गए और विभिन्न प्रकार के शारीरिक प्रयत्न उसे निकालने के लिए करने लगे। लेकिन बहुत देर तक प्रयास करने के उपरांत कोई मार्ग नही निकला। तभी गौतम बुद्ध मार्गभ्रमण कर रहे थे। राजा और